अंतरराष्ट्रीय शोध-अध्ययन पर सरकारी रोक-टोक से भारत छवि निखरेगी या बिगड़ेगी?

पिछले महीने भारत सरकार ने संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं जिसे लेकर शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और विद्वानों के बीच बहस शुरू हो गई है और इसकी आवाज़ विदेश में भी गूँज रही है.
इस नए सरकारी निर्देश के मुताबिक़ सरकारी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय वेबिनार, ऑनलाइन सेमिनार और भारत की सुरक्षा से संबंधित विषयों पर कांफ्रेंस में विदेशी विद्वानों को बुलाने से पहले विदेश मंत्रालय से मंज़ूरी लेनी पड़ेगी.
सरकार का कहना है कि ऐसा देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया है.
निर्देश के मुताबिक़, हर उस विषय पर सेमिनार करने से पहले अनुमति लेनी पड़ेगी जिसका संबंध सरकार की नज़रों में ‘देश की सुरक्षा और दूसरे संवेदनशील अंदरूनी मामलों’ से है.
राजनीतिक मुद्दों पर कोई आयोजन करने से पहले अनुमति लेने की व्यवस्था पहले से ही है, लेकिन अकादमिक मामलों में ऐसा पहली बार किया गया है.